भगवान के साथ हमेशा रहने का अनुभव

भगवान के साथ हमेशा रहने का अनुभव

सुबह का समय था, सूरज की किरणें धरती पर बिखर रही थीं, और एक छोटे से गाँव में एक राज नामक युवक आवारा फिर रहा था। राज का दिल बहुत उदास था, उसका मन चेहरे पर मुस्कान के बजाय गड़बड़ाहट से भरा हुआ था। वह बहुत ही सोचमें डूबा हुआ था, क्योंकि उसने अपने जीवन में बहुत सी समस्याओं का सामना किया था।

राज को लगता था कि वह अकेला है, और उसे भगवान का अनुभव कैसे हो सकता है, यह उसे समझ में नहीं आ रहा था। उसके दोस्तों ने उससे कहा था कि भगवान का अनुभव सिर्फ तीर्थ स्थलों में या मंदिरों में ही होता है, लेकिन राज को यह समझने में मुश्किल हो रहा था।

एक दिन, राज ने गाँव के पुजारी से मिलकर उससे अपने सभी समस्याओं का समाधान पूछा। पुजारी ने मुस्कराते हुए कहा, “राज, भगवान का अनुभव करने का सबसे सरल तरीका यह है कि तुम हमेशा उसके साथ रहो, चाहे तुम कहां भी हो।”

राज ने हैरानी से कहा, “लेकिन मैं तो उसको देख नहीं सकता, तो कैसे मैं उसके साथ रह सकता हूँ?”

पुजारी ने कहा, “भगवान को देखने के लिए तुम्हें उसकी प्रतिष्ठा में नहीं, बल्कि उसकी अस्तित्व में विश्वास करना होगा। तुम उसके साथ हमेशा रह सकते हो, अगर तुम उसे अपने दिल में महसूस करोगे।”

राज ने इसे समझने के लिए अपने दिल की गहराईयों में जाने का निर्णय किया। उसने पुजारी से सिखा कि भगवान हमेशा हमारे साथ होते हैं, चाहे हम उन्हें देख सकें या नहीं।

उसने पुजारी की सीख को अपने जीवन में अमल में लिया और हर क्षण भगवान के साथ बिताने का प्रयास किया। उसने सीधे दिल से भगवान से बातें करना शुरू किया, उसने उससे अपनी सारी समस्याओं को साझा किया और उससे मार्गदर्शन की प्राप्ति की।

राज ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस किया, उसकी मुसीबतें तो रहीं, लेकिन अब उसका दिल शांति और संतुलन से भरा हुआ था। वह हमेशा खुश और सकारात्मक रहने लगा था, क्योंकि उसने भगवान के साथ अपना संबंध मजबूत किया था।

एक दिन, राज ने अपने दोस्तों को बताया, “मैंने भगवान को अपने साथ हमेशा रखने का तरीका सीख लिया है। तुम भी इसको आजमा कर देखो, तुम्हारा जीवन भी बदल जाएगा।”

उसके दोस्तों ने भी उसकी बातों को सुना और उन्होंने भी भगवान के साथ अपना संबंध मजबूत किया। वे भी खुशी और शांति से भरे हुए हो गए।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि भगवान का अनुभव करने का सबसे सरल तरीका है उसके साथ हमेशा रहना। हमें उसके साथ अपना संबंध मजबूती से बनाए रखना चाहिए और उससे हर पल में संवाद करना चाहिए। इससे हमारा जीवन सकारात्मकता, शांति और संतुलन से भरा होगा।वैसे देखा जाए यदि  कोई अपना सगा संबंधी या मित्र साथ होता है तो हर मुसीबत से लड़ने की शक्ति मिल ही जाती है.पर उन रिश्तों की भी एक सीमा है …वे सब हर समय हर जगह हमारे साथ नहीं हो सकते…परंतु प्रभु तो सर्वत्र है…जब उनसे रिश्ता बना लिया तो जीवन मे  शांति आने को कौन रोक सकता है…..

 

 

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