कौन है अज्ञानी ?

अज्ञानी हम उसे नहीं कहेंगे जिसे किसी बात का पता ना हो ,ब्लकि उसे मानेंगे जिसे सब ज्ञान होने पर भी उस मिले हुए ज्ञान की कदर ना करे…इस बात को हम एक कहानी के ज़रिये समझने की कोशिश करते है…..

एक बार एक गाँव में,एक भक्त रहते थे,उनका नाम था संजय  ,वे हमेशा भक्तिमें तल्लीन रहते थे, उनकी दिनचर्या थी  सुबह जल्दी उठना,पूजा पाठ करना, भगवान के भजन गाना, उन्हें भोग लगाकर खुद खाना और उसके बाद वह अपनी दुकान पर चले जाते थे. दोपहर का भोजन करके वे दुकान बंद कर देते थे।  उसके बाद वह जाकर गरीबों की सेवा करते, दान-पुण्य करते और बाकी  का समय वह संतों की संगति में रह कर व्यतित करते. लोग उनके इस तरह के व्यवहार से हैरान थे और उन्हें पागल समझते थे. लोग उनकी यह कहते हुए आलोचना करते थे कि वह कितना मूर्ख है।  वह अपनी दुकान  थोड़ी देर के लिए ही खोलता हैं,यदि लंबे समय तक दुकान खुली रखे तो जहां वह इतना कमा सकता है कि अपने परिवार को और खुशहाल बना सकता है  पर वे इससे उल्टा थोड़े कमाए हुए धन को भी  साधु संतों और गरीबो को दान कर देता है….
उसी  गाँव में एक धनी व्यक्ति रहता था जिसका नाम नगर सेठ था. एक दिन सेठ संजय से मिलने गया और उसे टोपी देते हुए बोला,
“यह टोपी सबसे बड़े अज्ञानी के लिए है। इसलिए, मैं यह टोपी आपको  देना चाहता हूँ क्योंकि आपसे बड़ा अज्ञानी  मुझे नहीं मिल सकता।  यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो  आप की तुलना में बड़ा अज्ञानी है , तो आप उसे यह पहनने के लिए दे सकते हैं।”
संजय ने कुछ नहीं कहा और वह टोपी रख ली।

कुछ वर्षों के बाद संजय ने सुना कि सेठ का आखिरी समय आ गया है .  इसलिए वे उनसे  मिलने चले गये और उनके स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में पूछा। तो
सेठ ने कहा, “भाई, मेरा अंत निकट है, मैं जा रहा हूँ।
संजय ने पूछा, “क्या आपने अपने से पहले किसी को वहाँ  भेजा है जो आपके  आने की लिए तैयारी करे?  क्या आपकी पत्नी, बेटा, पैसा, गाड़ी, बंगला आदि  सब आपके साथ  जाएंगे?”
सेठ ने जवाब दिया, “भैया.. कौन आएगा मेरे साथ… कोई नहीं आने वाला। मुझे अकेले जाना होगा।  परिवार, दौलत, महल.. सब कुछ यही छूट जाएगा..
परमात्मा को छोड़कर किसी का भी साथ रहने वाला नहीं है।”
ये शब्द सुनकर संजय उठे और अपने घर वापस चले गए और  कुछ देर बाद सेठ के पास लौटे।
सेठ यह सब देखकर हैरान रह गए और  उनसे पूछा, क्या हुआ?  पहले क्यों चले गए थे ?
संजय ने वह टोपी सेठ को देते हुए कहा, मैं यह टोपी लेने गया था,जो एक दिन तुमने मुझे दी थी.
सेठ ने पूछा, “क्यों दे रहे हो मुझे?”

संजय ने जवाब दिया, “जब आपने मुझे यह टोपी दी थी तो आपने कहा था कि मुझे यह किसी ऐसे व्यक्ति को देनी चाहिए जो मुझसे भी अधिक अज्ञानी हो। वो इंसान   आज मेरे सामने है …सेठ जी आप मुझसे भी ज्यादा अज्ञानी हो क्योंकि आप पहले जानते थे कि सारी संपत्ति, मकान, दुकान, यह दुनियादारी मरने के बाद आपके  साथ नहीं जाएगी, तब भी आप जीवन भर इसी लोभ में लगे रहे और आवश्यकताएं पूरी होने के बाद भी, अधिक कमाई और भौतिक इच्छाओं की पूर्ति में लगे रहे और अंत समय भी आपकी रुचि पदार्थों में फसी हुई है.जीवन भर आपने अच्छे कर्म नहीं किए, ना ही किसी  जरूरतमंद की सेवा की, भगवान की पूजा भी नहीं की मतलब कुछ भी तैयार नहीं किया उस दूसरी दुनिया के लिए। अब आप खुद समझिए कि कौन बड़ा अज्ञानी है।”

दोस्तो अधिकतर लोगों का जीवन सेठ की तरह निकल जाता है, बस पदार्थों  रिश्तेदारों के पीछे भागते हुए …मानव जीवन मिलने का सही अर्थ कोई बिरला ही समझ पाता है….वैसे भी आज कल अधिकतर लोग स्वर्ग नरक परलोक का कोई आधार नहीं मानते वे आंखों देखी पर ज्यादा विश्वास करते हैं….वे आज के जीने को अधिक महत्व देते हैं..उन्हें आने वाले भौतिक कल की तो चिंता है..मतलब पैसे,गाड़ी बड़ा घर कैसे आयेगे …पर मरने के बाद आत्मा का होगा उसके बारे मे सोचना भी नहीं चाहते….जो असल में जिंदगी का सच है..
आज का आधुनिक युग और पश्चिम सभ्यता ने हमारी सोच पर भी गहरा असर डाला है…आज हम हर बात मानने से पहले Logic ढूँढने को अपना अधिकार समझते है…. अपने ग्रंथों संतों के मुख् से सुनी बातों को तर्कों के आधार पर नापते है…

दोस्तो ,बचपन में  Math की Book में theorem सभी ने पढ़ी होगी जिसकी शुरुआत होती है शब्द Suppose से मतलब मान लीजिए यह ऐसा ही है…फिर उस मानी हुई बात को सिद्ध करने के लिये एक process follow किया जाता है….और अंत मे मानी हुई बात  सिद्ध हो जाती है…
यही तरीका हमें अपने ग्रंथों में लिखी बातों और सिद्ध संतों के मुख् से सुनी बातों पर भी लगाना होगा….पर हम उन सब बातों   को मानने से पहले तर्कों में उलझ जाते हैं और जीवन का बहुमुल्य समय ऐसे ही गवा देते है…
दोस्तो आप  इस Modern Life का आनंद आवश्य ले पर साथ मे अपनी  धार्मिक पुस्तकों में छुपे ज्ञान पर विश्वास करते हुए   जीवन मे जरूर उतारे….ताकि हमारी जिंदगी अज्ञानता में ना निकल जाये….

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