उसका इंतज़ार ….. ( एक कहानी )

उसका इंतज़ार ….. ( एक कहानी ).

कई बार किसी का इंतजार कुछ मिनट करना हो तो सालों बराबर लगता है,और यदि बची हुई उम्र करना पड़ जाए तो….

 
हँसती  मुस्कराती रोशनी जैसे ही बड़ी हुई तो घरवालो ने शादी के लिए  लड़का देखना शुरू कर दिया….उन दिनों ल़डकियों का ज्यादा पढ़ना ठीक नहीं समझा जाता था,19 साल की दसवीं पास रोशनी की शादी 25 साल के M.A पास  सूरज के साथ हों गई…वो एक सुलझे हुए बड़े परिवार की बहू बन गई…वैसे.इतनी कम उम्र में रिश्तों के मायने कहाँ समझ आते है…पर.कुछ ही दिनों में वो अपने ससुराल वालों की चाहिती बन गई….बड़े से लेकर घर के छोटे तक का खयाल रखना उसे आता था…हर काम में perfect….
घर में सबसे छोटी बहू होने के नाते…उसके जेठ भाभियाँ मजाक कर ही लेते थे …और रोशनी हर बात को मुस्करा कर खुश हो जाया करती थी….
 
पर सूरज को उसके कम पढ़े लिखे होने का दर्द ज्यादा सताता था…. रोशनी को भी इस बात का जल्दी पता चल गया था….पर क्या करती रिश्ता ही कुछ ऐसा था निभाना तो था ही ..उसने सोचा क्यों ना खुशी से जीया जाये..इसलिए वो हर बात को हंस कर टाल देती थी….
 
पहले बुजुर्ग हमेशा इंसान के गुणों को बड़ा समझते थे,इसलिए रोशनी अपने सास ससुर की लाडली बन चुकी थी….वे समय समय पर सूरज को भी समझाते कि वो रोशनी के गुणों पर ध्यान दे ना कि पढाई पर…
 आजकल के ज्यादा पढ़े लिखे क्या जाने संस्कारों की बातें…वो तो बस Hi Fi life की ओर आकर्षित रहते है….
 
पर फिर भी जिंदगी है ऐसे ही चलती है… यह सोचकर सूरज और रोशनी ने जल्दी ही एक दूसरे को अपना लिया, अपने आलसीपन के कारण सूरज छोटी-छोटी चीजों के लिए रोशनी पर निर्भर हो गया….समय के साथ उनके दो बेटे हुए….दोनों बच्चे बड़े हो कर कॉलेज जाने लगे….
सास ससुर भी अपनी साँसों की गिनती पूरी कर शरीर छोड़ गए…बच्चे बड़े होते देख सूरज और उनके 2 भाइयो ने अपने अलग घर बना लिए…
अब इस पुराने घर में सूरज रोशनी उसके बच्चे ही रह गए….
 
तुम अपना आलसीपन कब छोड़ोगे….सुबह उठते ही रोशनी ने चिल्ला कर कहा….
हर रोज़ उठकर शोर मचाने वाला सूरज अब शांत हो गया था….साथ रहते रहते एक दूसरे का रंग चढना जायज था…अब रोशनी के स्वभाव में बच्चों और उनके पिता की आदतों से तंग आकर कुछ चिड़चिड़ापन आने लगा था..पर फिर भी वह अपनी आदत के अनुसार दूसरों का खयाल रखना नहीं भूली थी ….समय पर सबको खाना देना,कपड़े आदि का पूरा ध्यान रखती थीं….किसी की एक आवाज पर पहुंच जाना जैसे उसके खून में घुल गया था…
सूरज भी अब उसका ज्यादा ध्यान रखने की कोशिश करता था पर अपने आलसी होने की आदत वो छोड़ नहीं पाया….
 
दोनों बेटे पढ़ने में अच्छे होने के कारण अमेरिका यूनिवर्सिटी  में पढाई करने के लिए चले गए….
अब सूरज और उसकी रोशनी एक दूसरे के लिए रह गए….दोनों थोड़ा उदास हो चुके थे …होते भी क्यों ना…इतने बड़े हस्ते खेलते परिवार मे पूरा जीवन निकल जाने के बाद अकेले होना कहाँ रास आता है iइन मिडिल क्लास वालों को….
 
साल गुज़रते गए…बेटों ने अमेरिका मे ही लड़किया ढूँढ कर शादी कर ली और वहीँ रहने का फैसला किया…वे बार बार कहते थे माता पिता को आ जाओ उनके पास पर रोशनी पुराने ख्यालों की जो थी हर बार कहती उसकी अर्थी पुराने घर से ही जायेगी, प्यार और यादों का घरौंदा था वो…उसके लिए….
.सूरज भी आज  नौकरी  से रिटायर    हो गया था, अब जल्दी सुबह उठना टिफ़िन बनाने का काम भी खत्म हो गया,
अब दोनों आराम से उठते…घंटों बातें करते…
 
आज तुम बड़ी अच्छी लग रही हो इस साड़ी मे….सूरज ने चाय का घूंट पीते हुए कहा…
अच्छा तुम्हें आज नज़र आयी….10 साल पुरानी…साड़ी…रोशनी ने शिकायत के लहज़े से कहा…
 अच्छा बाबा… अब तुम झगड़ों मत….जीवन के 35 साल हमने लड़ते हुए निकाल दिए अब कोई झगड़ा नहीं….Sorry…सूरज ने दोनों हाथ रोशनी के कानों को लगाते हुए कहा….
दोनों खिलखिला कर हँस  दिए…पता नहीं कितने सालों बाद दिल से  हँसे थे दोनों….
 
सूरज ने हाथ जोड़ कर रोशनी से शादी के शुरू में किए अपने बर्ताव के लिए माफ़ी मांगी…और कहा कितना ख्याल रखा तूने मेरा और मेरे परिवार का….मैं तुम्हारा सदा एहसान मंद रहूँगा….
 
अच्छा आपने सब नोटिस किया तो पहले कभी क्यों नहीं कहा…और मेरे परिवार का क्या मतलब वो हमारा परिवार था और है…रोशनी ने थोड़ा मुस्कराते हुए कहा….
 
एक और बात आज तक तुमने कभी मुझे इंतज़ार नहीं करवाया…मेरी एक आवाज पर भाग आती थी ..और आज भी…..सूरज कहते कहते रुक गया….
 
तुम जो इतना इंतज़ार  करवाते थे…सब बराबर हो जाता था…..यह कहते हुए रोशनी ने सूरज को गले लगा लिया….
दोनों की आंखें भर आयी….एक दूसरे को संभालते ….वे चाय का आनंद लेने लगे….
 
अगली सुबह….. अरे उठो क्या हुआ इतनी देर तक सो रही हो….सूरज ने रोशनी को आवाज लगाई….
आज लगता है मेरी तरह आलसी बन कर देखना चाहती हो…सूरज ने रोशनी का हाथ हिलाते हुए कहा….
पर कोई जवाब नहीं आया…
रोशनी के ठंडे हाथ ने सूरज की धड़कनो को तेज कर दिया ..वो हिम्मत करके उठा …जैसे ही  उसके मुँह पर हाथ रखा तो… रोशनी की
बंद साँसों ने सूरज को सुन्न कर दिया….
वो जा चुकी थी….हमेशा के लिए ….
पीछे छोड़ गई थी बस… इंतज़ार …….अब कौन आएगा सूरज के बुलाने पर….कोई नहीं….
 
बस इतनी सी थी यह कहानी…  दोस्तो जीवन के मिले थोड़े पलो को बिना शिकायतों के ही निकाल देना चाहिए …क्या पता कब कोई चला जाये और हम पीछे उसके आने के इंतजार में रह जाये……

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